Mohan rakesh biography in hindi


मोहन राकेश

भारतीय रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर रह चुके अर्थशास्त्री के लिए, राकेश मोहन देखें।

मोहन राकेश (८ जनवरी १९२५ - ३ दिसम्बर, १९७२) हिन्दी की 'नई कहानी' आन्दोलन के सशक्त कहानीकार थे। 'आषाढ़ का एक दिन', 'आधे अधूरे' और लहरों के राजहंस के रचनाकार। 'संगीत नाटक अकादमी' से सम्मानित।

मोहन राकेश मूलतः एक सिंधी परिवार से थे। उनके पिता कर्मचन्द बहुत पहले सिंध से पंजाब आ गए थे। पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम० ए० किया। जीविकोपार्जन के लिये अध्यापन किया। कुछ वर्षो तक 'सारिका' के संपादक भी रहे। ३ दिसम्बर १९७२ को नयी दिल्ली में आकस्मिक निधन। वे हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और उपन्यासकार हैं। समाज के संवेदनशील व्यक्ति और समय के प्रवाह से एक अनुभूति क्षण चुनकर उन दोनों के सार्थक सम्बन्ध को खोज निकालना, राकेश की कहानियों की विषय-वस्तु है। मोहन राकेश की डायरी हिंदी में इस विधा की सबसे सुंदर कृतियों में एक मानी जाती है।

नाट्य-लेखन

[संपादित करें]

मोहन राकेश को कहानी के बाद सफलता नाट्य-लेखन के क्षेत्र में मिली। हिंदी नाटकों में भारतेंदु और प्रसाद के बाद का दौर मोहन राकेश का दौर है जिसें हिंदी नाटकों को फिर से रंगमंच से जोड़ा। हिन्दी नाट्य साहित्य में भारतेन्दु और प्रसाद के बाद यदि लीक से हटकर कोई नाम उभरता है तो मोहन राकेश का। हालाँकि बीच में और भी कई नाम आते हैं जिन्होंने आधुनिक हिन्दी नाटक की विकास-यात्रा में महत्त्वपूर्ण पड़ाव तय किए हैं; किन्तु मोहन राकेश का लेखन एक दूसरे ध्रुवान्त पर नज़र आता है। इसलिए ही नहीं कि उन्होंने अच्छे नाटक लिखे, बल्कि इसलिए भी कि उन्होंने हिन्दी नाटक को अँधेरे बन्द कमरों से बाहर निकाला और उसे युगों के रोमानी ऐन्द्रजालिक सम्मोहक से उबारकर एक नए दौर के साथ जोड़कर दिखाया। वस्तुतः मोहन राकेश के नाटक केवल हिन्दी के नाटक नहीं हैं। वे हिन्दी में लिखे अवश्य गए हैं, किन्तु वे समकालीन भारतीय नाट्य प्रवृत्तियों के द्योतक हैं। उन्होंने हिन्दी नाटक को पहली बार अखिल भारतीय स्तर ही नहीं प्रदान किया वरन् उसके सदियों के अलग-थलग प्रवाह को विश्व नाटक की एक सामान्य धारा की ओर भी अग्रसर किया। प्रमुख भारतीय निर्देशकों इब्राहीम अलकाजी, ओम शिवपुरी, अरविन्द गौड़, श्यामानन्द जालान, राम गोपाल बजाज और दिनेश ठाकुर ने मोहन राकेश के नाटकों का निर्देशन किया।

मोहन राकेश का यह नाटक , अनिता औलक की कहानी दिन से दिन का नाट्यरुपांतरण है ।

प्रमुख कृतियाँ

[संपादित करें]

  • अंधेरे बंद कमरे 1971,
  • अन्तराल1972,
  • न आने वाला कल 1968 ,
  • काँपता हुआ दरिया (अपूर्ण),
  • नीली रोशनी कि बाँहें।
आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस, आधे अधूरे, पैैैर तले की जमीन (अधूरा, कमलेश्वर ने पूरा किया), सिपाही की मां, प्यालियां टूटती हैं, रात बीतने तक, छतरियां, शायद, हंः।
अण्डे के छिल्के, बहुत बड़ा सवाल
  • कहानी संग्रह
    • इंसान के खंडहर 1950
    • नये बादल 1957
    • जानवर और जानवर 1958
    • पाँच लंबी कहानियाँ 1960
    • एक और जिंदगी 1961
    • फौलाद का आकाश 1966
    • क्वार्टर 1973
    • पहचान 1973
    • वारिस 1973
    • एक घटना 1974
    • संपूर्ण कहानी संग्रह 1984
परिवेश
मृच्छकटिक, शाकुंतलम।
आखिरी चट्टान तक

सम्मान

[संपादित करें]

सन्दर्भ

[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ

[संपादित करें]

Raghunath das goswami biography definition